राेड पर चालान कटा ताे जुर्माना जमा करवाने नहीं जाना हाेगा कंट्रोल रूम, ट्रैफिक पुलिस माैके पर ही कार्ड स्वैप करवाकर लेगी फाइन

 यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर रास्ते में चालान कटने के बाद जुर्माना जमा कराने के लिए पुलिस कंट्रोल रूम जाने और कतार में खड़े रहने की समस्या से निजात मिलने वाली है। राजस्थान पुलिस की यातायात शाखा को कैशलैस और पेपरलैस करने की कवायद शुरू हो चुकी है। जल्द ही जोधपुर और जयपुर पुलिस को एसबीआई की ओर से पीओएस मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी। इनसे वाहन मालिक मौके पर ही कार्ड स्वैप करके जुर्माना अदा कर सकेंगे। इसी दिशा में सोमवार को पुलिस मुख्यालय में डीजीपी भूपेंद्रसिंह की मौजूदगी में राजस्थान पुलिस की ओर से एसपी (ट्रैफिक) चूनाराम और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से महाप्रबंधक जीएस रावत ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। करार के तहत पुलिस को ई-चालान के लिए एसबीआई अलग-अलग चरण में 4 हजार पीओएस मशीनें देगी। 


जयपुर और जोधपुर के लिए एक हजार मीशन मंगाई गई
प्रथम चरण में जयपुर और जोधपुर के लिए एक हजार मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। एडीजी (ट्रैफिक) पीके सिंह ने बताया कि पीओएस मशीनों से वाहनों के चालान का जुर्माना मौके पर वसूलने से आमजन के समय के साथ ट्रैफिक पुलिस के श्रम की भी बचत होगी। जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) एमएल लाठर, एडीजी बीएल सोनी, उमेश मिश्रा, नीना सिंह, राजीव शर्मा, डॉ. रवि मेहरड़ा, हेमंत प्रियदर्शी, अनिल पालीवाल व बीजू जॉर्ज जोसफ तथा उप महानिरीक्षक गौरव श्रीवास्तव, एसबीआई के डीजीएम विनीत कुमार, भजनलाल, संजय झा तथा एजीएम रामसिंह व आरपी शर्मा आदि मौजूद थे। 


आसान होगा डाटा एनालिसिस, ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर बनवा सकेंगे
पुलिस द्वारा किए जाने वाले चालान की जुर्माना राशि का ई-पेमेंट होने से समय व श्रम की बचत तो होगी ही, साथ ही साथ चालान से जुड़े डाटा का संकलन और इनसे प्रतिदिन की रिपोर्ट भी आसान हो जाएगी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार किस जगह पर किस अधिकारी द्वारा कितने चालान किए गए और इनमें कितनी जुर्माना राशि वसूल की गई, इसकी रिपोर्ट भी स्वत: बन जाएगी। इन डाटा से ये भी पता लगाना आसान हो जाएगा कि किस इलाके में किस समयावधि में ज्यादा चालान होते हैं और किस समय में कम। कौन अधिकारी पर्याप्त चालान बना रहा है और कौन कम, इसका आंकलन भी अधिकारियों के लिए आसान होगा। कंट्रोल रूम में अलग से कैशियर बिठाने और उन्हें रोजाना कैश को बैंक में जमा कराने की समस्या भी खत्म होगी। यानि पुलिसकर्मी अकाउंटिंग के काम में उलझने की बजाय अपने मूल काम पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगे।


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